यह सूचना हमने विभिन्न विश्वसनीय संगठनों (जैसे विश्व स्वास्थ्य संगठन, युनाइटेड स्टेट्स सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन, मेसाचुसेट्स स्टेट डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक हेल्थ, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार, बोस्टन पब्लिक हेल्थ कमीशन और क्लेवलैंड क्लिनिक आदि) की वेबसाइट से जुटाई है। इसमें से कुछ हिस्सा शब्दशः उसी तरह पेश किया गया है, जबकि कुछ जगहों पर इसे नए सिरे से लिखा गया है। यह सूचना एकत्रित करने के लिए हम इन संगठनों के कठिन परिश्रम का आभार प्रकट करते हैं।
कोविड-19 एक नई बीमारी है, जो नवल (नए) कोरोना वायरस (सार्स-कोव-2) की वजह से होती है जिसे इंसान में पहले कभी नहीं देखा गया था। कोरोनावायरस के बहुत से प्रकार होते हैं और इनमें वह भी शामिल हैं जो आमतौर पर ऊपरी श्वसनतंत्र (साइनस, नाक की नली, जल आदि जाने की नलिका और कंठ) में हल्की बीमारी पैदा करता है। ‘कोविड-19’ में ‘सीओ’ है कोरोना के लिए, ‘वीआई’ है वायरस के लिए, ‘डी’ है डिजीज या रोग के लिए और ‘19’ है 2019 वर्ष के लिए।
किसी भी व्यक्ति को कोविड-19 उन लोगों से हो सकता है जिनमें इस वायरस का संक्रमण पहले से है। जब कोविड-19 से संक्रमित व्यक्ति खांसता, छीकता है या सांस छोड़ता है तो उसके नाक या मुंह से निकली छोटी बूंदों से यह रोग दूसरे में फैल सकता है। ये बेहद नन्ही बूंदें उस व्यक्ति के आस-पास की दूसरी चीजों और सतहों पर भी गिर सकती है। दूसरा व्यक्ति उस सामान या सतह के संपर्क में आने के बाद अपने मुंह, नाक या आंख को छूने से भी कोविड-19 से संक्रमित हो सकता है। लोग संक्रमित व्यक्ति के खांसने या सांस छोड़ने से निकली बूंदों को सांस के जरिए अंदर लेने से भी संक्रमित हो सकते हैं। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि बीमार व्यक्ति से 3-6 फीट या 1-2 मीटर दूर रहा जाए।
कोविड-19 के मुख्य लक्षण बुखार, खांसी और सांस लेने में समस्या है। बीमार को थकान, बदन दर्द और नाक जाम होना, गले में खराश और उल्टी-दस्त की समस्या भी हो सकती है; हालांकि कुछ लोग जो इससे संक्रमित हो जाते हैं, उनको कोई भी लक्षण नहीं होते। इससे संक्रमित होने वाले अधिकांश लोगों को किसी विशेष इलाज की जरूरत नहीं होती। लेकिन कुछ लोग बेहद गंभीर रूप से बीमार हो जाते हैं और उन्हें सांस लेने में परेशानी होने लगती है।
अगर आपको लगता है कि आप कोविड-19 के संक्रमण के दायरे में आ गए हैं और बुखार या कफ और सांस लेने में परेशानी जैसे दूसरे लक्षण पैदा हो रहे हैं तो अपने डॉक्टर से सलाह लें। अगर आपको ये लक्षण हैं तो आप घर पर ही रहें और दूसरों से जहां तक हो सके दूरी बनाए रखें। बहुत से लोग घर पर ही ठीक हो जाते हैं; लेकिन अगर आपको लगे कि स्थित ज्यादा खराब हो रही है तो अवश्य उपयुक्त इलाज हासिल करें। अगर आप किसी डॉक्टर के पास या अस्पताल जाते हैं तो पहले ही बता दें कि आपको कोविड-19 हो सकता है ताकि स्वास्थ्य सेवा देने वाले खुद को सुरक्षित रख सकें।
ज्यादातर लोग यह बीमारी तभी फैलाते हैं जब उनके लक्षण दिष्टिगोचर होने लगते हैं, यानी वे बीमार हो चुके होते हैं। क्योंकि इस बीमारी के फैलने का सबसे प्रमुख माध्यम खांसने या छींकने से निकली बूंदें हैं। हालांकि यह संभव है कि कुछ मामलों में लक्षण सामने आने से पहले भी संक्रमण फैले। इसलिए जिन लोगों में लक्षण नहीं हैं, उनके साथ भी एक तय शारीरिक दूरी बनाए रखने की सलाह दी जाती है।
कोविड-19 से किसी भी उम्र के लोग संक्रमित हो सकते हैं, लेकिन कुछ लोगों को इस बीमारी से बहुत अधिक प्रभावित होने का खतरा होता है। इनमें ये शामिल हैं:
इससे बीमार होने के खतरे को कम करने के लिए बचाव के उपाय आप खुद भी रोजाना अपनाएं और साथ ही अपने घर के सभी लोगों को भी ऐसा करने के लिए कहें। ये कदम खास तौर पर बुजुर्गों और पहले से बीमार लोगों के लिए जरूरी हैं:
आम तौर पर कोरोना वायरस एक व्यक्ति की संक्रमित बूंदों के दूसरे व्यक्ति के स्वशन तंत्र में पहुंचने से ही फैलता है। अब तक खाने-पीने के सामान से कोरोना वायरस फैलने के कोई प्रमाण नहीं मिले हैं। खाना तैयार करने या खाने से पहले सामान्य खाद्य सुरक्षा के लिहाज से भी हमेशा साबुन और पानी से 20 सेकेंड तक हाथ धोना बहुत जरूरी है। नाक साफ करने, खांसने, छींकने या शौचालय का उपयोग करने के बाद अपने हाथ को धोना बहुत जरूरी है।
यह संभव है कि किसी व्यक्ति ने ऐसे सामान या सतह को छूआ हो जहां यह वायरस हो और फिर उसने अपने मुंह, नाक या आंख को छूआ हो तो उसे कोविड-19 हो जाए, लेकिन इसे इस वायरस के प्रसार का मुख्य तरीका नहीं माना गया है।
सामान्य तौर पर, कोविड-19 को किसी सतह पर लंबे समय तक जीवित रहना मुश्किल होता है, इसलिए खाने-पीने की चीजों या ऐसे पैकेट जिन्हें कई दिन अथवा सप्ताह पहले रूम तापमान या नियंत्रित तापमान अथवा जमा देने वाले तापमान पर भेजा गया हो उनसे कोविड-19 होने का खतरा बहुत कम है।
हां। इस बात की आशंका बहुत कम है कि कोविड-19 से संक्रमित व्यक्ति किसी पैकेट की सामग्री को संक्रमित कर देगा। चूंकि ये पैकेट विभिन्न परिस्थितियों और तापमान में लाए जाते हैं तो इस बात की भी आशंका बहुत कम है कि पैकेट के बाहरी हिस्से से लोगों को कोविड-19 हो जाए। हालांकि सलाह दी जाती है कि किसी दूसरे के हाथ से आए हुए किसी भी सामान को छूने के बाद आप अपने हाथ को साबुन और पानी से 20 सेकेंड तक धो लें।
क्वेरैंटाइन का मतलब है संक्रामक बीमारी की जद में आ चुके लेकिन अब तक लक्षण विकसित नहीं हुए किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह को ऐसे लोगों से अलग रखना, जो इस वायरस की जद में नहीं आए हैं। क्वेरैंटाइन का उद्देश्य इस बीमारी को रोकना है। किसी व्यक्ति को कोविड-19 जैसे वायरस के संपर्क में आने के 14 दिन के अंदर ही लक्षण विकसित हो जाते हैं। इसलिए जिन लोगों के वायरस के संपर्क में आने का डर है, उन्हें 14 दिन के लिए अलग रखना जरूरी होता है। इस अवधि के दौरान वे अलग नहीं रहे तो बीमारी को दूसरों में भी फैला सकते हैं। क्वेरैंटाइन की अवधि के बाद माना जाता है कि उनसे इस बीमारी के फैलाने का डर नहीं है।
अब तक नहीं है। कोविड-19 से बचाव के लिए कोई टीका या इसके इलाज के लिए कोई विशेष दवा अभी तक नहीं है। गंभीर रूप से बीमार होने वाले लोग अस्पताल में भर्ती हो सकते हैं। अधिकांश मरीज इस बीमारी से उबर जाते हैं।
शोधकर्ता टीके विकसित करने में प्रयासरत हैं, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि प्रभावी टीका उपलब्ध होने में 12-18 महीने लगने की संभावना है।
कोरोना वायरस जैसे जानलेवा बीमारी से बचने के लिए इम्यूनिटी का बेहतर होना सबसे जरूरी है। इसलिये कोरोना वायरस से बचने के लिए आयुर्वेदिक तरीकों को अपनाया जाना चाहिए।
हर एक प्रकार की व्याधि या कोई भी विषाणु से बचने के लिए हमारी इम्यूनिटी मतलब रोगप्रतिकारक शक्ति अच्छी होनी यह सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण बात है और यह इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए आयुर्वेद में सालों पहले से ही दिनचर्या रितु चर्या स्टोर आहार विधि-विधान जैसे अनेक चीजें बताई है जिनका उपयोग हम दैनंदिन जीवन जीवन में आजमा के हमारी इम्यूनिटी अच्छी कर सकते हैं जैसे कि -
जैसा कि आयुर्वेद में कहां है ब्रह्म्ो मुहूर्त उत्तिष्ठे मतलब सुबह जल्दी उठना , रात्रि जागरण न करना, दिन में ना सोना ( ग्रीष्म ऋतु अपवाद) ऐसी दिनचर्या का पालन हमेशा होना चाहिए
प्रतिदिन शरीर का योग्य व्यायाम होना यह योगाभ्यास से सिद्ध होगा। दिन भर में कम से कम 20 मिनट तक प्राणायाम,ओंकार, कपालभाति इन चीजों का करना बहुत ही आवश्यक है वैसे ही गर्मी के मौसम में "शीतली क्रिया" बहुत ही लाभप्रद रहेगी। इन सब चीजों से हमारा स्वास्थ्य अच्छा रहने में मदद होगी जिससे रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ेगी
प्रतिदिन सुबह दूध के साथ हल्दी का सेवन करने से इम्यूनिटी बढ़ने में मदद होगी
अदरक , काली मिर्च, तुलसी, दालचीनी, अश्वगंधा यह सब चीज है यह सब चीज है २ कप पानी में डालकर उन्हें अच्छे से उबाल के उसे एक कप बचाए रखना है ऐसा काढ़ा या चाय के स्वरूप में आप दिन में 1-2 बार सेवन कर सकते हैं।
आमला फल स्वरूप या आमला चूर्ण स्वरूप में खाना यह आपके शरीर के लिए लाभप्रद रहेगा। आजकल के जमाने में आंवला कैंडी जो खड़ी शक्कर में बनाई जाए वह भी एक अच्छा ऑप्शन रहेगा।
आयुर्वेद में तुलसी के पौधे का प्रत्येक भाग का उपयोग सेहतमंद बने रहने के लिए किया जाता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने के लिए यह निम्न प्रकार से कारगर साबित होगी।
कोरोना वायरस के प्रमुख लक्षणों में देखा जाए तो सर्दी, खांसी भी शामिल है। ऐसी स्थिति में इस आयुर्वेदिक टिप्स को अपनाकर फायदा देखा जा सकता है। इसके लिए आपको अदरक के कटे हुए छोटे हुए टुकड़े, 1/2 चम्मच जीरा, 1/2 चम्मच हल्दी और एक चम्मच नींबू रस को एक कप पानी में मिलाकर इसका सेवन करना है। सर्दी, खांसी से पीड़ित लोगों में इस आयुर्वेदिक ड्रिंक का फायदा बड़ी तेजी से देखने को मिलेगा। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाती है और कोरोना वायरस के इस लक्षण को भी ठीक करने के काम आ सकती है।
कोरोना वायरस के तेजी से बढ़ रहे मामले को देखते हुए जरूरी नहीं है कि यह केवल बड़ों और युवाओं पर ही असर दिखाएगा बल्कि घर में रहने वाले छोटे बच्चे भी इसकी चपेट में आ सकते हैं। इसलिए घर में रहने वाले छोटे बच्चों का भी विशेष ध्यान रखें।
कोरोना वायरस की चपेट से बुजुर्गों को बचाए रखना बहुत जरूरी है। खासकर अगर आपके घर में डायबिटीज और ब्लड प्रेशर से जुड़ी हुई समस्याओं से ग्रसित बुजुर्ग हैं तो उनकी इम्युनिटी बढ़ाने के लिए ऊपर बताई गई टिप्स को जरूर फॉलो करें। उन्हें नियमित रूप से योग और एक्सरसाइज करने के लिए भी कहें ताकि उनकी इम्युनिटी इस तरह से भी मजबूत की जा सके। इन टिप्स को फॉलो करके आप रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने में भी सफल रहेंगे और कोरोना वायरस का खतरा भी कम होगा।
लंच के बाद सोने की आदत अगर आपको भी है तो यह आपकी सेहत के लिए बहुत ही नुकसानदायक साबित हो सकता है। लंच करने के तुरंत बाद सोने के कारण पाचन क्रिया ठीक तरीके से ना होने पर आपके शरीर को जरूरी पोषक तत्व भी नहीं मिलेंगे। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी कमजोर बना सकता है। इस कारण आप कोरोना वायरस की चपेट में आने के साथ-साथ अन्य बीमारियों से भी ग्रसित हो सकते हैं। इसलिए दोपहर में सोने की आदत को पूरी तरह छोड़ दें।